माता-पिता बनने का सपना हर दंपति के जीवन का सबसे खूबसूरत अध्याय होता है। लेकिन कभी-कभी प्रकृति की राह में कुछ चुनौतियां आ जाती हैं। ऐसे में आधुनिक चिकित्सा विज्ञान एक वरदान की तरह सामने आता है। आईवीएफ क्या होता है – यह सवाल आज लाखों दंपतियों के मन में है जो संतान सुख की चाह रखते हैं।
आज हम इस ब्लॉग में आईवीएफ से जुड़े हर पहलू को विस्तार से समझेंगे। यदि आप भी इस यात्रा पर निकलने की सोच रहे हैं, तो यह जानकारी आपके लिए मददगार साबित होगी।
आईवीएफ Full Form
आईवीएफ का पूरा नाम “इन विट्रो फर्टिलाइजेशन” (In Vitro Fertilization) है। हिंदी में इसे “शीशी में निषेचन” या “कृत्रिम गर्भाधान” भी कहा जाता है। “इन विट्रो” का अर्थ है “शीशे में” या “प्रयोगशाला में” और “फर्टिलाइजेशन” का मतलब है निषेचन की प्रक्रिया।
सरल शब्दों में कहें तो आईवीएफ क्या होता है – यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें महिला के अंडाणु और पुरुष के शुक्राणु को शरीर के बाहर, एक विशेष प्रयोगशाला में मिलाया जाता है। जब निषेचन हो जाता है और भ्रूण बन जाता है, तो उसे महिला के गर्भाशय में स्थापित कर दिया जाता है।
आईवीएफ क्यों किया जाता है?
इन विट्रो फर्टिलाइज़ेशन (IVF) उन दंपतियों की सहायता के लिए उपयोग में लिया जाता है जो प्राकृतिक रूप से गर्भधारण नहीं कर पा रहे हैं। ऐसे कई कारण या परिस्थितियाँ होती हैं जहां डॉक्टर दंपति को IVF की सलाह दे सकते हैं|
- फैलोपियन ट्यूब में रुकावट या क्षति: यह एक प्रमुख कारण है। यदि महिला की फैलोपियन ट्यूब अवरुद्ध या क्षतिग्रस्त हो जाती हैं, तो अंडाणु शुक्राणु से नहीं मिल पाता है, जिससे प्राकृतिक गर्भधारण असंभव हो जाता है।
- पुरुषों में प्रजनन संबंधी समस्याएँ: पुरुष बांझपन के मामलों में, जैसे शुक्राणुओं की संख्या कम होना (low sperm count), उनकी गतिशीलता कमजोर होना (low sperm motility), या शुक्राणु का आकार असामान्य होना, आईवीएफ निषेचन की संभावनाओं को काफी बढ़ा देता है।
- एंडोमेट्रियोसिस (Endometriosis): यह एक ऐसी स्थिति है जहाँ गर्भाशय की आंतरिक परत की कोशिकाएं गर्भाशय के बाहर बढ़ती हैं, जिससे प्रजनन क्षमता प्रभावित होती है।
- उन्नत मातृ आयु (Advanced Maternal Age): 35 वर्ष की आयु के बाद, विशेष रूप से 40 के बाद, महिला के अंडाणुओं की गुणवत्ता और संख्या में कमी आने लगती है, जिससे प्राकृतिक रूप से गर्भधारण करना कठिन हो जाता है । ऐसे मामलों में, आईवीएफ एक सफल विकल्प प्रदान करता है।
- अज्ञात बांझपन (Unexplained Infertility): कई बार, बांझपन का कोई स्पष्ट चिकित्सा कारण नहीं मिल पाता है। ऐसे मामलों में भी, आईवीएफ अक्सर एक सफल समाधान साबित होता है।
- व्यक्तिगत परिस्थितियाँ: आईवीएफ एकल महिलाओं या समलैंगिक जोड़ों के लिए भी एक विकल्प है जो जैविक रूप से संतान चाहते हैं, जिसके लिए अक्सर दाता शुक्राणु या अंडाणु का उपयोग किया जाता है।
आईवीएफ का चुनाव एक गहन विचार-विमर्श के बाद किया जाता है, जिसमें दंपत्ति की चिकित्सा स्थिति, आयु, और अन्य व्यक्तिगत कारक शामिल होते हैं।
आईवीएफ उन दंपतियों के लिए आशा की किरण है जो निम्नलिखित कारणों से संतान सुख से वंचित हैं:
महिलाओं में कारण:
- फैलोपियन ट्यूब में रुकावट या क्षति होना
- एंडोमेट्रियोसिस की समस्या
- पीसीओएस (PCOS) या अनियमित ओव्यूलेशन
- गर्भाशय में फाइब्रॉइड या अन्य संरचनात्मक समस्याएं
- उम्र बढ़ने से अंडों की गुणवत्ता में कमी (35 वर्ष से अधिक उम्र)
- समय से पहले ओवेरियन फेल्योर
पुरुषों में कारण:
- शुक्राणुओं की कम संख्या
- शुक्राणुओं की गतिशीलता में कमी
- असामान्य शुक्राणु आकार
- शुक्राणु उत्पादन में समस्या
अन्य कारण:
- अस्पष्ट बांझपन (जब कारण पता न चले)
- आनुवंशिक विकारों से बचाव
- कैंसर के इलाज से पहले फर्टिलिटी संरक्षण
- समलैंगिक जोड़े या एकल माता-पिता बनने की इच्छा
आईवीएफ क्या होता है और कैसे होता है?
आईवीएफ एक जटिल, लेकिन सुनियोजित प्रक्रिया है जिसे कई चरणों में पूरा किया जाता है । यह तकनीक महिला के अंडाशय से अंडे निकालकर, उन्हें प्रयोगशाला में पुरुष के शुक्राणु के साथ निषेचित करने और फिर तैयार भ्रूण को महिला के गर्भाशय में वापस प्रत्यारोपित करने पर आधारित है । एक पूरा आईवीएफ चक्र, जिसमें सभी चरण शामिल होते हैं, लगभग तीन सप्ताह का हो सकता है । हालांकि, कुछ मामलों में, विशेष उपचार योजनाओं के आधार पर यह समय अलग हो सकता है । यह प्रक्रिया पांच मुख्य चरणों में विभाजित है, जिनका विवरण नीचे दिया गया है।
यह भी पढ़ें – आईवीएफ प्रेगनेंसी में सफलता पाने के 10 ज़रूरी उपाय
इन विट्रो फ़र्टिलाइज़ेशन (आईवीएफ़) कैसे होता है? (IVF Process Step by Step)
आईवीएफ की प्रक्रिया को समझना एक महत्वपूर्ण कदम है, जो उपचार के दौरान होने वाली चिंता को कम करने में मदद कर सकता है। नीचे दिए गए चरण एक मानक आईवीएफ चक्र का वर्णन करते हैं:
- अंडाशय को उत्तेजित करना (Ovarian Stimulation): एक प्राकृतिक मासिक चक्र में, महिला का शरीर आमतौर पर केवल एक परिपक्व अंडाणु का उत्पादन करता है। आईवीएफ में सफलता की संभावना बढ़ाने के लिए कई अंडे की आवश्यकता होती है। इस उद्देश्य के लिए, डॉक्टर मासिक धर्म के पहले दिन से लगभग 8 से 14 दिनों तक हार्मोनल दवाएं या इंजेक्शन देते हैं । इस चरण के दौरान, अंडाशय में अंडाणुओं के विकास की निगरानी के लिए नियमित रूप से ट्रांसवेजाइनल अल्ट्रासाउंड और रक्त परीक्षण किए जाते हैं ।
- अंडा पुनर्प्राप्ति (Egg Retrieval): जब अंडाणु पर्याप्त रूप से परिपक्व हो जाते हैं, तो उन्हें निकालने के लिए एक मामूली शल्य प्रक्रिया की जाती है, जिसे फॉलिक्यूलर एस्पिरेशन (follicular aspiration) भी कहते हैं । यह प्रक्रिया हल्के बेहोशी (anesthesia) या सिडेशन में की जाती है, ताकि मरीज़ को कोई दर्द या बेचैनी महसूस न हो। अल्ट्रासाउंड की मदद से, योनि के माध्यम से अंडाशय में एक पतली सुई डाली जाती है, जिससे अंडाणुओं को एक-एक करके निकाला जाता है। यह प्रक्रिया आमतौर पर केवल 15 से 20 मिनट में पूरी हो जाती है और मरीज़ को कुछ घंटों के भीतर छुट्टी दे दी जाती है।
- शुक्राणु संग्रह और निषेचन (Sperm Collection & Fertilization): जिस दिन अंडाणु निकाले जाते हैं, उसी दिन पुरुष साथी या डोनर से शुक्राणु का नमूना लिया जाता है। लैब में, सबसे अच्छे अंडाणुओं को सर्वोत्तम गुणवत्ता वाले शुक्राणुओं के साथ एक पेट्री डिश में मिलाया जाता है। इस प्रक्रिया को इनसेमिनेशन (insemination) कहते हैं। कुछ मामलों में, जैसे कि गंभीर पुरुष बांझपन में, एक एकल शुक्राणु को सीधे अंडाणु में इंजेक्ट किया जाता है, जिसे आईसीएसआई (Intracytoplasmic Sperm Injection) कहा जाता है।
- भ्रूण संवर्धन (Embryo Culture): निषेचन के बाद, परिणामी भ्रूणों को एक विशेष इनक्यूबेटर में रखा जाता है, जहाँ वे तीन से पांच दिनों तक विकसित होते हैं। इस दौरान, उनकी वृद्धि और विकास की लगातार निगरानी की जाती है। इस प्रक्रिया का उद्देश्य सबसे स्वस्थ और सबसे व्यवहार्य भ्रूण का चयन करना है, जिसे बाद में गर्भाशय में स्थानांतरित किया जाएगा।
- भ्रूण स्थानांतरण (Embryo Transfer): यह आईवीएफ का अंतिम चरण है, जहाँ एक या अधिक स्वस्थ भ्रूणों को एक पतली, लचीली ट्यूब (कैथेटर) का उपयोग करके गर्भाशय में रखा जाता है। यह एक त्वरित और आमतौर पर दर्द रहित प्रक्रिया है, जिसे अक्सर पैप स्मीयर (Pap smear) जैसा महसूस किया जाता है।
- गर्भावस्था परीक्षण (Pregnancy Test): भ्रूण स्थानांतरण के बाद, दंपत्ति को परिणाम जानने के लिए लगभग दो सप्ताह तक प्रतीक्षा करनी होती है। इस प्रतीक्षा अवधि के बाद, यह निर्धारित करने के लिए एक रक्त परीक्षण किया जाता है कि क्या उपचार सफल रहा और गर्भधारण हुआ है या नहीं।
चरण | उद्देश्य | अनुमानित अवधि | क्या उम्मीद करें |
ओवेरियन स्टिमुलेशन | अधिक अंडे बनाना | 8-14 दिन | दैनिक इंजेक्शन और नियमित अल्ट्रासाउंड |
अंडा पुनर्प्राप्ति | परिपक्व अंडे निकालना | लगभग 20 मिनट | हल्की बेहोशी, प्रक्रिया के बाद हल्की ऐंठन |
शुक्राणु संग्रह | निषेचन के लिए शुक्राणु प्रदान करना | कुछ घंटे | नमूना प्रदान करना |
निषेचन एवं संवर्धन | भ्रूण का निर्माण और विकास | 3-5 दिन | लैब में भ्रूण की निगरानी |
भ्रूण स्थानांतरण | भ्रूण को गर्भाशय में रखना | 5-10 मिनट | त्वरित और दर्द रहित प्रक्रिया, हल्का दबाव |
गर्भावस्था परीक्षण | गर्भधारण की पुष्टि करना | 10-14 दिन | रक्त परीक्षण द्वारा परिणाम की जांच |
आईवीएफ कितने दिन में होता है?
आईवीएफ क्या होता है यह जानने के साथ-साथ इसकी समय अवधि जानना भी जरूरी है। एक पूर्ण आईवीएफ साइकिल में आमतौर पर 4-6 सप्ताह का समय लगता है:
- तैयारी चरण: 2-4 सप्ताह (जांच और दवाइयों की शुरुआत)
- स्टिमुलेशन चरण: 8-14 दिन (अंडों का विकास)
- अंडा निकालना और निषेचन: 1 दिन
- भ्रूण विकास: 3-5 दिन
- भ्रूण स्थानांतरण: 1 दिन
- प्रतीक्षा अवधि: 14 दिन (गर्भावस्था परीक्षण तक)
कुल मिलाकर, माहवारी के पहले दिन से लेकर गर्भावस्था परीक्षण तक लगभग 6-8 सप्ताह का समय लगता है। हालांकि, हर महिला की स्थिति अलग होती है, इसलिए समय में थोड़ा अंतर हो सकता है।
आईवीएफ में कितने इंजेक्शन लगते हैं? (IVF Injections)
आईवीएफ उपचार में इंजेक्शन एक महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, और इनकी संख्या अक्सर मरीज़ों के लिए चिंता का विषय बन सकती है । आमतौर पर, ओवेरियन स्टिमुलेशन चरण के दौरान प्रतिदिन एक या दो इंजेक्शन लगाए जाते हैं, जो 8 से 14 दिनों तक चलता है । कुल मिलाकर, इस चरण में लगभग 15 से 20 इंजेक्शन लग सकते हैं । ये इंजेक्शन ज्यादातर सबक्यूटेनियस (subcutaneous) होते हैं, यानी त्वचा के नीचे लगाए जाते हैं, जिससे वे कम दर्दनाक होते हैं ।
इन इंजेक्शनों को उनके उद्देश्य के आधार पर वर्गीकृत किया जाता है :
- ओवरी को उत्तेजित करने वाले इंजेक्शन: इनमें ह्यूमन मेनोपॉज़ल गोनाडोट्रोपिन (HMG) और फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन (FSH) जैसे हार्मोन होते हैं, जो अंडाशय को कई अंडे बनाने के लिए प्रेरित करते हैं।
- ओव्यूलेशन को नियंत्रित करने वाले इंजेक्शन: GnRH एगोनिस्ट और GnRH एंटागोनिस्ट जैसे इंजेक्शन का उपयोग समय से पहले ओव्यूलेशन को रोकने के लिए किया जाता है।
- ट्रिगर शॉट (Trigger Shot): जब फॉलिकल्स निश्चित आकार तक पहुँच जाते हैं, तो ओव्यूलेशन को प्रेरित करने के लिए ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन (hCG) का एक अंतिम इंजेक्शन दिया जाता है।
इंजेक्शन्स के दर्द को कम करने के लिए, मरीज़ इंजेक्शन के बाद उस जगह पर तुरंत आइस पैक लगा सकते हैं, या अपने साथी से मदद ले सकते हैं ।
आईवीएफ के दौरान कितने अंडे निकाले जाते हैं?
IVF प्रक्रिया के तहत जब अंडाणु संग्रहण (एग रिट्रीवल) किया जाता है, तो लक्ष्य होता है कि अंडाशय से अधिक से अधिक परिपक्व अंडे प्राप्त किए जाएँ, ताकि निषेचन और स्वस्थ भ्रूण बनने की संभावनाएं बढ़ें। आमतौर पर हार्मोनल उत्तेजना के बाद 8 से 15 अंडे तक निकाले जाते हैं, लेकिन यह संख्या कई कारकों पर निर्भर करती है:
- उम्र: युवा महिलाओं में अधिक अंडे (15-20) मिल सकते हैं
- ओवेरियन रिजर्व: AMH लेवल के आधार पर
- स्टिमुलेशन प्रोटोकॉल: दवाइयों की मात्रा और प्रकार
- पिछली प्रतिक्रिया: यदि पहले आईवीएफ किया गया हो
सभी निकाले गए अंडे परिपक्व नहीं होते। आमतौर पर 70-80% अंडे परिपक्व होते हैं और निषेचन के लिए उपयुक्त होते हैं। इनमें से 60-70% सफलतापूर्वक निषेचित होते हैं।
क्या IVF सुरक्षित है? (Is IVF Safe?)
हाँ, IVF सामान्यतः एक सुरक्षित प्रक्रिया मानी जाती है, विश्व भर में लाखों स्वस्थ बच्चे आईवीएफ से पैदा हुए हैं। हालांकि, किसी भी चिकित्सा प्रक्रिया की तरह, इसमें भी कुछ जोखिम हो सकते हैं:
न्यूनतम जोखिम:
- दवाइयों से हल्की एलर्जी
- इंजेक्शन साइट पर हल्की सूजन
- मूड में बदलाव
- हल्का सिरदर्द या थकान
दुर्लभ जटिलताएं (1-2% मामलों में):
- ओवेरियन हाइपरस्टिमुलेशन सिंड्रोम (OHSS)
- अंडा निकालते समय हल्की ब्लीडिंग
- संक्रमण का खतरा (बहुत कम)
आधुनिक तकनीकों और अनुभवी डॉक्टरों की देखरेख में ये जोखिम काफी कम हो गए हैं। नियमित मॉनिटरिंग से किसी भी समस्या को जल्दी पहचाना और ठीक किया जा सकता है।
क्या आईवीएफ दर्दनाक होता है?
यह सबसे आम सवाल है जो हर महिला के मन में आता है। सच कहें तो आईवीएफ प्रक्रिया में कुछ असुविधा हो सकती है, लेकिन यह असहनीय दर्द नहीं होता:
- इंजेक्शन: इंजेक्शन लगाते समय हल्की चुभन या दर्द महसूस हो सकता है । हालांकि, जैसा कि पहले बताया गया है, अधिकांश इंजेक्शन सबक्यूटेनियस होते हैं और दर्द निवारक जेल या आइस पैक का उपयोग करके दर्द को काफी हद तक कम किया जा सकता है ।
- अंडा पुनर्प्राप्ति: यह प्रक्रिया हल्के बेहोशी में की जाती है, जिसका अर्थ है कि मरीज़ को प्रक्रिया के दौरान कोई दर्द महसूस नहीं होता है । प्रक्रिया के बाद कुछ हल्की से मध्यम ऐंठन या पेट में दर्द हो सकता है, जो अक्सर मासिक धर्म के दर्द जैसा होता है और इसे सामान्य दर्द निवारक दवाओं से नियंत्रित किया जा सकता है ।
- भ्रूण स्थानांतरण: यह प्रक्रिया आमतौर पर सबसे आसान और दर्द रहित चरण है । इसमें किसी भी तरह की सर्जरी शामिल नहीं होती, और मरीज़ को केवल हल्का दबाव या बेचैनी महसूस हो सकती है, जो पैप स्मीयर जैसा होता है ।
प्रत्येक महिला का अनुभव अलग-अलग होता है, लेकिन सही पेन मैनेजमेंट और देखभाल के साथ, इस प्रक्रिया को आसानी से पूरा किया जा सकता है।
यह भी पढ़ें – पीरियड में पेट दर्द हो तो क्या करें? कारण, इलाज और 15 असरदार घरेलू उपाय
आईवीएफ का खर्च कितना है? (IVF Cost)
आईवीएफ एक महंगा उपचार हो सकता है, और इसकी लागत कई कारकों पर निर्भर करती है । भारत में एक आईवीएफ चक्र का औसत खर्च ₹90,000 से लेकर ₹2.5 लाख तक हो सकता है । हालांकि, यह कीमत विभिन्न शहरों और क्लीनिकों में अलग-अलग हो सकती है ।
आईवीएफ के खर्च को प्रभावित करने वाले कारक:
कारक | विवरण | लागत पर प्रभाव |
शहर और क्लिनिक | बड़े शहरों में, जैसे दिल्ली और मुंबई, क्लीनिकों की प्रतिष्ठा और सेवाओं के कारण लागत अधिक होती है। | लागत बढ़ा सकता है |
दवाओं का खर्च | हार्मोनल इंजेक्शन का खर्च, जो रोगी की आवश्यकता पर निर्भर करता है, कुल लागत का एक महत्वपूर्ण हिस्सा होता है। | लागत बढ़ा सकता है |
अतिरिक्त प्रक्रियाएँ | उन्नत तकनीकों, जैसे कि आईसीएसआई (ICSI) या प्रीइम्प्लांटेशनल जेनेटिक टेस्टिंग (PGT) का उपयोग करने से लागत बढ़ जाती है। | लागत बढ़ा सकता है |
भ्रूण फ्रीजिंग | भविष्य में उपयोग के लिए अतिरिक्त भ्रूणों को फ्रीज करना और उनका भंडारण करना अतिरिक्त खर्च जोड़ता है। | लागत बढ़ा सकता है |
डॉक्टर का अनुभव | उच्च सफलता दर वाले अनुभवी डॉक्टरों और क्लीनिकों का शुल्क अक्सर अधिक होता है। | लागत बढ़ा सकता है |
कई क्लिनिक EMI की सुविधा भी देते हैं। कुछ राज्य सरकारें और बीमा कंपनियां आंशिक कवरेज प्रदान करती हैं।
यदि आप जयपुर में IVF की योजना बना रहे हैं, तो अच्छी खबर यह है कि यहां कुछ विश्वसनीय क्लीनिक आर्थिक पैकेज भी उपलब्ध कराते हैं। उदाहरण के तौर पर, Ritu IVF, Jaipur में एक स्टैंडर्ड IVF साइकिल की कीमत करीब ₹1,00,000 से शुरू होती है (बेस पैकेज जिसमें अपने अंडाणु एवं शुक्राणु के साथ एक IVF चक्र शामिल है)। विशेष परिस्थितियों में जैसे डोनर अंडाणु का उपयोग, ICSI, या अतिरिक्त फ्रीज़िंग प्रक्रियाएँ, पैकेज की लागत बढ़कर ₹1.5-2.5 लाख तक जा सकती है। क्लीनिक में पारदर्शी मूल्य-निर्धारण होना महत्वपूर्ण है ताकि आपको यह पता रहे कि किस मद में कितना खर्च होगा। हमेशा पूछें कि quoted प्राइस में दवाओं, जाँच, अल्ट्रासाउंड, लैब चार्जेस आदि शामिल हैं या नहीं।
यह भी पढ़ें – IVF की लागत जयपुर में 2025 – सही बजट और उपचार डिटेल्स
आईवीएफ के बाद सही देखभाल क्यों जरूरी है?
IVF के बाद सावधानी और देखभाल उतनी ही अहम है जितनी कि प्रक्रिया के दौरान। सफल भ्रूण प्रत्यारोपण (Embryo Transfer) के बाद अगर उचित देखभाल न की जाए तो सफलता की संभावना प्रभावित हो सकती है। IVF के बाद प्रारंभिक 2 सप्ताह (जब तक प्रेग्नेंसी टेस्ट होता है) और गर्भावस्था की प्रारंभिक तिमाही में विशेष ध्यान रखने की सलाह दी जाती है। सही देखभाल से जहाँ एक ओर गर्भधारण की संभावनाएँ बढ़ती हैं, वहीं दूसरी ओर किसी भी संभावित जटिलता से बचने में मदद मिलती है। नीचे IVF के बाद की कुछ जरूरी सावधानियों पर नज़र डालते हैं:
शारीरिक देखभाल:
- पहले 48 घंटे आराम करें, लेकिन पूर्ण बेड रेस्ट जरूरी नहीं
- भारी वजन न उठाएं और तीव्र व्यायाम से बचें
- सामान्य दैनिक गतिविधियां जारी रख सकते हैं
- डॉक्टर द्वारा दी गई दवाइयां नियमित लें
- पर्याप्त पानी पिएं और संतुलित आहार लें
भावनात्मक देखभाल:
- सकारात्मक रहें लेकिन अति आशावादी न हों
- तनाव कम करने के लिए मेडिटेशन या योग करें
- परिवार और मित्रों से बात करें
- अनावश्यक गूगल सर्च से बचें
क्या करें और क्या न करें:
- धूम्रपान और शराब से पूर्णतः बचें
- कैफीन सीमित करें
- गर्म पानी के टब या सॉना से बचें
- यौन संबंध के बारे में डॉक्टर से सलाह लें
- किसी भी असामान्य लक्षण की तुरंत रिपोर्ट करें
Read Also – आईवीएफ प्रेगनेंसी में सफलता पाने के 10 ज़रूरी उपाय
आईवीएफ के साइड इफेक्ट्स (IVF Side Effects)
हर चिकित्सा प्रक्रिया की तरह आईवीएफ के भी कुछ साइड इफेक्ट्स हो सकते हैं, जो आमतौर पर हल्के और अस्थायी होते हैं:
अल्पकालिक दुष्प्रभाव:
- चिंता और मूड स्विंग्स: आईवीएफ भावनात्मक रूप से थका देने वाला हो सकता है, और हार्मोनल उतार-चढ़ाव से मूड में बदलाव और चिंता हो सकती है ।
- शारीरिक परिवर्तन: पेट में सूजन, पेट दर्द, सिरदर्द, थकान, और मतली महसूस हो सकती है ।
- इंजेक्शन वाली जगह पर दर्द या सूजन: इंजेक्शन लगाने वाली जगह पर हल्की सूजन, दर्द या चोट लग सकती है ।
दीर्घकालिक जोखिम और जटिलताएँ:
- ओवेरियन हाइपरस्टिमुलेशन सिंड्रोम (OHSS): यह एक गंभीर लेकिन दुर्लभ स्थिति है जिसमें अंडाशय अति-उत्तेजित हो जाते हैं ।
- समय से पहले डिलीवरी और कम वजन वाले बच्चे: शोध बताते हैं कि आईवीएफ से गर्भधारण करने वाली महिलाओं में समय से पहले डिलीवरी या कम वजन वाले बच्चे का जन्म होने का थोड़ा अधिक जोखिम होता है ।
- एक्टोपिक प्रेगनेंसी: आईवीएफ में ट्यूब में गर्भधारण होने की संभावना सामान्य से थोड़ी अधिक होती है ।
इन जोखिमों को नियंत्रित करने के लिए, आईवीएफ विशेषज्ञ उपचार के दौरान मरीज़ की कड़ी निगरानी रखते हैं।
अंतिम शब्द
इस विस्तृत ब्लॉग में हमने आपको IVF से जुड़ी लगभग सभी महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्रदान करने की कोशिश की है। आपने जाना कि IVF क्या होता है, यह किन परिस्थितियों में कराने की सलाह दी जाती है, IVF प्रक्रिया कैसे होती है, इसमें कितने दिन लगते हैं, इसके दौरान कितने इंजेक्शन लगाने पड़ते हैं, प्रक्रिया के दौरान कितने अंडे निकाले जाते हैं, IVF की सफलता और सुरक्षा से जुड़े पहलू क्या हैं, IVF कराने में अनुमानित खर्च कितना आता है, एवं प्रक्रिया के बाद किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है। हमने IVF के संभावित साइड इफेक्ट्स पर भी चर्चा की है ताकि आप इसके हर पहलू के बारे में जागरूक रहें। उम्मीद है कि अब आपके मन में IVF को लेकर अधिकांश प्रश्नों के उत्तर मिल गए होंगे और अवधारणा स्पष्ट हो गई होगी।
IVF ने आज लाखों दंपतियों को माता-पिता बनने का सुख दिया है और विज्ञान के इस चमत्कार ने कई सपनों को साकार किया है। यदि आप भी बांझपन की समस्या से जूझ रहे हैं और IVF कराने पर विचार कर रहे हैं, तो घबराएँ नहीं। सही जानकारी, उचित मार्गदर्शन और सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ यह यात्रा आसान हो जाती है। महत्वपूर्ण है कि आप एक अच्छे, अनुभवी IVF सेंटर और डॉक्टर का चयन करें, जो आपको व्यक्तिगत ध्यान और उत्तम चिकित्सकीय सेवा प्रदान कर सके।
जयपुर में यदि आप सर्वोत्तम IVF ट्रीटमेंट की तलाश में हैं, तो Ritu IVF जैसे विश्वसनीय केंद्र से संपर्क कर सकते हैं। अनुभवी फर्टिलिटी विशेषज्ञों और उन्नत तकनीक की मदद से, सही क्लिनिक आपका मार्गदर्शन करेगा और आपकी आवश्यकताओं के अनुरूप इलाज प्रदान करेगा। याद रखें, प्रत्येक दंपति की परिस्थिति अलग होती है – इसलिए धैर्य रखें और अपने डॉक्टर के निर्देशों का पालन करें। हम कामना करते हैं कि आपका पैरेंटहुड का सपना जल्द पूरा हो!
अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)
प्रश्न 1: IVF क्या होता है और कैसे होता है?
आईवीएफ (इन विट्रो फर्टिलाइजेशन) एक आधुनिक प्रजनन तकनीक है जिसमें महिला के अंडाणु और पुरुष के शुक्राणु को शरीर के बाहर, एक प्रयोगशाला में निषेचित किया जाता है । निषेचन के बाद बने भ्रूण को महिला के गर्भाशय में प्रत्यारोपित किया जाता है ताकि गर्भधारण संभव हो सके ।
एक आईवीएफ में कितना खर्चा आता है?
IVF का खर्च स्थान, क्लिनिक और रोगी की स्थिति पर निर्भर करता है। औसतन भारत में एक IVF चक्र का खर्च लगभग ₹1 लाख से ₹2 लाख के बीच हो सकता है।
आईवीएफ में स्पर्म किसका होता है?
आईवीएफ में शुक्राणु आमतौर पर पुरुष साथी का होता है । हालांकि, गंभीर पुरुष बांझपन के मामलों में, या एकल महिलाओं और समलैंगिक जोड़ों के लिए, दाता शुक्राणु (donor sperm) का उपयोग किया जा सकता है।
आईवीएफ कितने दिन में होता है?
आईवीएफ की पूरी प्रक्रिया में, जिसमें शुरुआती परामर्श से लेकर गर्भावस्था परीक्षण तक शामिल है, लगभग 4 से 6 सप्ताह लग सकते हैं । हालांकि, ओवेरियन स्टिमुलेशन और भ्रूण स्थानांतरण की मुख्य चिकित्सा प्रक्रिया लगभग 17 से 20 दिनों में पूरी हो सकती है ।
पीरियड के कितने दिन बाद आईवीएफ होता है?
आईवीएफ प्रक्रिया आमतौर पर माहवारी के दूसरे या तीसरे दिन से शुरू होती है। इस दिन से हार्मोन इंजेक्शन शुरू किए जाते हैं। पूरी प्रक्रिया उसी माहवारी चक्र में पूरी हो जाती है।
आईवीएफ में कितने इंजेक्शन लगते हैं?
आईवीएफ उपचार के दौरान, ओवेरियन स्टिमुलेशन चरण में 8 से 14 दिनों तक दैनिक इंजेक्शन लगाए जाते हैं । कुल मिलाकर, इस अवधि में लगभग 15 से 20 इंजेक्शन लग सकते हैं, जिसमें अंतिम “ट्रिगर शॉट” भी शामिल है ।